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नई दिल्ली: स्कूल में पिटाई यानी शारीरिक दंड अब बच्चों को अनुशासित करने के लिए एक क्रूर तरीका माना जाता है। हालांकि, कुछ दशक पहले तक स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों के लिए ये एक वास्तविकता थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के लिए भी ये ज्यादा अलग नहीं था। इस बात का जिक्र उन्होंने शनिवार को एक सेमिनार में किया। सीजेआई ने बताया कि एक बार छोटी सी गलती के लिए उन्हें स्कूल में डंडे से पीटा गया था। उन्होंने कहा कि मुझे अभी भी याद है कि मैंने अपने टीचर से अपील करते हुए कहा था कि वे मेरे हाथ पर नहीं बल्कि मेरे पीछे डंडे से मारिए। बावजूद इसके मेरे शिक्षक ने मेरी एक नहीं सुनी।सीजेआई ने बताया स्कूल में क्यों हुई थी पिटाई
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उस समय मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा था, जब मेरे टीचर ने छोटी सी गलती पर मुझे बेंत से पीटा था। उन्होंने बताया कि शर्म के कारण वह अपने माता-पिता को भी यह बात नहीं बता सके। यही नहीं उनसे अपनी चोटिल दाहिनी हथेली को 10 दिनों तक छिपाना पड़ा था। सीजेआई ने कहा कि आप बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, इसका उनके पूरे जीवन में दिलो-दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। मैं स्कूल में बिताए उस दिन को कभी नहीं भूल सकता। जब मेरे हाथों पर बेंत मारे गए, तब मैं कोई अपराधी नहीं था। मैं क्राफ्ट सीख रहा था और असाइनमेंट के लिए सही आकार की सुइयां क्लास में नहीं लाया था।
काठमांडू में आयोजित सेमीनार में बोल रहे CJI चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ काठमांडू में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की ओर से जुवेनाइल जस्टिस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान बोलते हुए उन्होंने घटना साझा की। उन्होंने कहा कि बच्चे मासूम होते हैं। लोग जिस तरह से बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, उसका उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे अभी भी याद है कि 5वीं क्लास में जब टीचर मुझे मार रहे थे तो मैंने उनसे कहा था कि वे मेरे हाथ पर नहीं बल्कि मेरे पीछे मारें। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया।
सीजेआई ने बताया क्यों नहीं भूले स्कूल की वो पिटाई
सीजेआई चंद्रचूड़ बोले कि शारीरिक घाव तो भर गया, लेकिन मन और आत्मा पर वह घटना अमिट छाप छोड़ गई। जब मैं अपना काम करता हूं, तो यह आज भी मुझे याद आता है। बच्चों पर इस तरह के अपमान का प्रभाव बहुत गहरा होता है। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय पर चर्चा करते समय, हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और विशिष्ट जरूरतों को पहचानने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणाली करुणा, पुनर्वास और समाज में फिर एकीकरण के अवसरों के साथ रिएक्ट करें।
सीजेआई ने बताया स्कूल में क्यों हुई थी पिटाई
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उस समय मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा था, जब मेरे टीचर ने छोटी सी गलती पर मुझे बेंत से पीटा था। उन्होंने बताया कि शर्म के कारण वह अपने माता-पिता को भी यह बात नहीं बता सके। यही नहीं उनसे अपनी चोटिल दाहिनी हथेली को 10 दिनों तक छिपाना पड़ा था। सीजेआई ने कहा कि आप बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, इसका उनके पूरे जीवन में दिलो-दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। मैं स्कूल में बिताए उस दिन को कभी नहीं भूल सकता। जब मेरे हाथों पर बेंत मारे गए, तब मैं कोई अपराधी नहीं था। मैं क्राफ्ट सीख रहा था और असाइनमेंट के लिए सही आकार की सुइयां क्लास में नहीं लाया था।काठमांडू में आयोजित सेमीनार में बोल रहे CJI चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ काठमांडू में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की ओर से जुवेनाइल जस्टिस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान बोलते हुए उन्होंने घटना साझा की। उन्होंने कहा कि बच्चे मासूम होते हैं। लोग जिस तरह से बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, उसका उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे अभी भी याद है कि 5वीं क्लास में जब टीचर मुझे मार रहे थे तो मैंने उनसे कहा था कि वे मेरे हाथ पर नहीं बल्कि मेरे पीछे मारें। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया।सीजेआई ने बताया क्यों नहीं भूले स्कूल की वो पिटाई
सीजेआई चंद्रचूड़ बोले कि शारीरिक घाव तो भर गया, लेकिन मन और आत्मा पर वह घटना अमिट छाप छोड़ गई। जब मैं अपना काम करता हूं, तो यह आज भी मुझे याद आता है। बच्चों पर इस तरह के अपमान का प्रभाव बहुत गहरा होता है। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय पर चर्चा करते समय, हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और विशिष्ट जरूरतों को पहचानने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणाली करुणा, पुनर्वास और समाज में फिर एकीकरण के अवसरों के साथ रिएक्ट करें।जुवेनाइल जस्टिस पर खुलकर बोले CJI
सेमिनार में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका का भी जिक्र किया जिसमें नाबालिग बलात्कार पीड़िता के गर्भ को समाप्त करने की मांग की गई थी। उन्होंने भारत की जुवेनाइल जस्टिस के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बात की। इसमें एक बड़ी चुनौती अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और संसाधन हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जिसके कारण जुवेनाइल जस्टिस सेंटर्स में भीड़भाड़ और घटिया दर्जे की स्थिति है। इसी कारण किशोर अपराधियों को उचित सहायता प्रदान करना और पुनर्वास प्रदान करने के प्रयासों में बाधा आ सकती है।
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